प्रयागराज महाकुंभ के दौरान गंगा और यमुना नदियों में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को सौंपी, जिसमें बताया गया कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा में वृद्धि हुई है, जिससे नदी में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। रिपोर्ट के अनुसार, जब से महाकुंभ शुरू हुआ है, तब से प्रयागराज में विभिन्न स्थानों पर फेकल कोलीफॉर्म का स्तर नहाने के लिए निर्धारित जल गुणवत्ता मानकों से अधिक पाया गया है।
महाकुंभ के दौरान नदी का प्रदूषण बढ़ा
CPCB की रिपोर्ट में बताया गया है कि सीवेज के गंदे पानी के संकेतक फेकल कोलीफॉर्म की लिमिट 2500 यूनिट प्रति 100 मिली है। प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों में सीवेज के बहाव को रोकने के लिए एनजीटी सुनवाई कर रहा है। महाकुंभ के दौरान सीवेज प्रबंधन योजना पर एनजीटी ने यूपी सरकार को पहले ही निर्देश दिए हैं।
श्रद्धालुओं को गंगा के पानी की गुणवत्ता के बारे में जानकारी देने के निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि श्रद्धालुओं को नहाने से पहले गंगा जल की गुणवत्ता के बारे में जानकारी दी जाए। हालांकि, डाउन टू अर्थ (DTE) की रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक ऐसा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। एनजीटी ने दिसंबर 2024 में भी निर्देश जारी किया था कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में गंगा जल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए और यह जल नहाने और पीने के लिए सुरक्षित हो।
2019 के कुंभ में भी खराब थी पानी की गुणवत्ता
यह पहली बार नहीं है जब इस मुद्दे को उठाया गया है। 2019 में प्रयागराज कुंभ के दौरान भी सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि प्रमुख स्नान के दिनों में पानी की गुणवत्ता खराब थी। 2019 कुंभ मेले में 130.2 मिलियन श्रद्धालु आए थे। रिपोर्ट के अनुसार, करसर घाट पर बीओडी और फेकल कोलीफॉर्म का स्तर निर्धारित सीमा से अधिक था। प्रमुख स्नान के दिनों में सुबह के समय बीओडी का स्तर शाम के मुकाबले ज्यादा था। यमुना में घुलनशील ऑक्सीजन का स्तर मानक के अनुसार था, लेकिन पीएच, बीओडी और फेकल कोलीफॉर्म का स्तर अलग-अलग समय पर लगातार निर्धारित सीमा से अधिक था।