हरियाणा सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई कर्ज लिया गया है, तो उसकी भरपाई सरकार स्वयं करेगी, न कि प्रदेश के नागरिकों से कोई अतिरिक्त धन वसूला जाएगा। वित्तीय वर्ष 2025-26 में राज्य की कुल ऋण देनदारी ₹3,52,819 करोड़ अनुमानित है, जो राज्य की जीडीपी का 26.18% है। यह 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित 32.5% की सीमा के भीतर है, जिससे यह साफ होता है कि राज्य की वित्तीय स्थिति संतुलित है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में राज्य की कुल देनदारी ₹3,69,242 करोड़ थी। सरकार ने यह भी बताया कि किसी भी राज्य की वित्तीय स्थिति को FRBM (Fiscal Responsibility and Budget Management) एक्ट और वित्त आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार नियंत्रित किया जाता है। आरबीआई का हस्तक्षेप केवल तब आवश्यक होता है जब राज्य सरकार खुले बाजार में बॉन्ड जारी कर ऋण लेती है।
वित्तीय घाटे को नियंत्रित करने की दिशा में बड़ा कदम
सरकार ने वित्तीय अनुशासन बनाए रखते हुए राजस्व घाटे को ऐतिहासिक रूप से कम किया है। वर्ष 2014-15 में यह 1.90% था, जबकि 2023-24 में इसे घटाकर 1.09% कर दिया गया। सरकार का लक्ष्य 2025-26 के अंत तक इसे 1% से भी कम करना है, जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति और अधिक मजबूत होगी।
15वें केंद्रीय वित्त आयोग के अनुसार, वित्तीय घाटे (Fiscal Deficit) की सीमा 3% के भीतर होनी चाहिए। राज्य सरकार ने इसे 2024-25 में 2.68% और 2025-26 में 2.67% तक नियंत्रित किया है, जो आर्थिक स्थिरता का संकेत है।
सरकारी उपक्रमों के ऋण में भी आई गिरावट
सरकार ने State Public Enterprises (PSEs) के कर्ज को भी कम करने में सफलता प्राप्त की है। 2014-15 में यह ₹69,922 करोड़ था, जिसे घटाकर 2023-24 में ₹68,295 करोड़ कर दिया गया। 2014-15 में यह राज्य की जीडीपी का 16% था, जो अब घटकर 5.6% रह गया है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा का बयान और सरकार का जवाब
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य को आगामी समय में ₹20,000 करोड़ का और कर्ज लेना पड़ सकता है। सरकार ने उनके इस बयान का खंडन करते हुए कहा कि बजट 2025-26 में प्रस्तावित ₹2,05,017 करोड़ की धनराशि से सभी योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा और किसी भी अतिरिक्त कर्ज की आवश्यकता नहीं होगी।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने यह भी दोहराया कि राज्य सरकार भिखारी नहीं है और उसे उसके वित्तीय अधिकारों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। सरकार ने केंद्र से RDF (Rural Development Fund) की बकाया राशि तुरंत जारी करने की मांग की, ताकि विकास कार्यों को गति दी जा सके।