Masan Holi : वाराणसी में मसान की होली 11 मार्च को मनाई जाएगी। मसान होली की परंपरा महादेव द्वारा मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में चिता की भस्म से होली खेलने की है।
उत्तर प्रदेश के बनारस में मसान की होली देश भर में प्रसिद्ध है। होली का उत्सव एकादशी से प्रारंभ हो जाता है और यह पूरे छह दिनों तक चलता है। देश भर से साधु संत के साथ-साथ आम लोग भी वाराणसी में मसान की होली खेलने के लिए आते हैं। होली का यह बहुत ही अलग उत्सव है। इस उत्सव के पीछे बहुत पुरानी वैदिक परंपरा मानी जाती है। मसान की होली सिर्फ देश भर में वाराणसी में ही खेली जाती है। भस्म होली का संबंध भगवान भोलेनाथ से माना गया है।
गुलाल से होली खेली थी
हर साल की तरह इस साल भी मसान की होली वाराणसी में 11 मार्च को मनाई जाएगी। इस दिन महादेव ने रंगभरी एकादशी के दिन पार्वती जी को गाना गाकर उन्हें काशी लाए थे। महादेव ने उस दिन सभी के साथ गुलाल से होली खेली थी। महादेव की होली में भूत प्रेत जीव जंतु जैसे लोग शामिल नहीं हो सके थे। इसके बाद महादेव ने अगले दिन मसान की होली खेली।
भस्म से होली खेलने का महत्व
मसान की होली में चीता की भस्म से होली खेलने का महत्व होता है। यह परंपरा आदिकाल से चली आ रही है। इस दिन महादेव ने मृत्यु पर विजय प्राप्त की थी धार्मिक मान्यता के मुताबिक भोलेनाथ ने यमराज को इस दिन पराजित किया था जिसके बाद चीता की राख से होली खेली थी। इस वजह से हर साल इस दिन को विशेष रूप से मसान की होली के नाम से मनाया जाता है। इसमें चिताओं की राख को इकट्ठा करके उस राख से ही होली खेलने की परंपरा है।
हर साल किया जाता है
बता दें कि वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर बड़े ही धूमधाम से मसान की होली का आयोजन हर साल किया जाता है। देश भर से आए शिव भक्त महादेव की पूजा अर्चना करते हैं और यज्ञ किया जाता है। इसके बाद चीता की भस्म से होली का खेली जाती है। देश भर में यह दृश्य बहुत ही अद्भुत माना जाता है। इसमें शिव भक्त और साधु संत मिलकर एक दूसरे को चिता भस्म लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं।