Monday, April 28, 2025
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बैंक के पूर्व जनरल मैनेजर पर 122 करोड़ के घोटाले का आरोप, पुलिस ने दर्ज की एफआईआर

Maharashtra : न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व जनरल मैनेजर हितेश मेहता ने बैंक से करोड़ो रुपये निकाले। अब मुंबई पुलिस ने मामला दर्ज किया और इसे आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को ट्रांसफर कर दिया गया है।

महाराष्ट्र के मुंबई जिले में न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक को लेकर बड़े खुलासे हो रहे हैं। हाल ही में न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व जनरल मैनेजर द्वारा बैंक की तिजोरी लूटने की चौंकाने वाली घटना सामने आई है। पूर्व महाप्रबंधक हितेश प्रवीणचंद मेहता ने बैंक के खजाने से कथित रूप से 122 करोड़ रुपये निकाले हैं।

शाखाओं के जिम्मेदार थे

जब हितेश बैंक के महाप्रबंधक थे तो वह दादर और गोरेगांव शाखाओं के जिम्मेदार थे। उस समय यह बात सामने आई थी कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए दोनों शाखाओं के खातों से 122 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की थी। इस मामले में बैंक के मुख्य लेखा अधिकारी द्वारा दादर थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी। जिसके आधआर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।

इस घोटाले में शामिल

मुंबई पुलिस को संदेह है कि हितेश और एक अन्य व्यक्ति इस घोटाले में शामिल हैं। अब पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। यह केस आगे की जांच के लिए आर्थिक अपराध शाखा यानी (EOW) को ट्रांसफर कर दिया गया है। आर्थिक अपराध शाखा के अनुसार न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में आरोपी हितेश मेहता का पद जनरल मैनेजर है। यह घोटाला तब हुआ जब उनके पास प्रभादेवी और गोरेगांव के कार्यालय का कार्यभार था।

फोरेंसिक ऑडिट कराई जाएगी

आर्थिक अपराध शाखा ने बैंक के जनरल मैनेजर हेड ऑफ अकाउंटेंट और मामले के आरोपी हितेश पटेल को समन भेजा है। आर्थिक अपराध शाखा के सूत्रों ने बताया कि बैंक में रखे पैसों की एंट्री बुक्स ऑफ अकाउंट में की जाती है। जब बुक्स ऑफ अकाउंट की टैली की गई तो दोनों में 122 करोड़ रुपये का डिफरेंस सामने आया। इसी के बाद शिकायत दर्ज कराई गई जिसके आधार पर हितेश मेहता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने इस मामले में बैंक की बुक्स ऑफ अकाउंट की डिटेल्स ली है जिसकी फोरेंसिक ऑडिट कराई जाएगी।

कामकाज पर प्रतिबंध

बता दे कि भारतीय रिजर्व बैंक के मुंबई बेस्ड न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के कामकाज पर प्रतिबंध लगा दिया है। न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में भारी अनियमितताओं को देखते हुए इस पर बैंकिंग कारोबार से जुड़ी कई तरह की रोक लगाई गई हैं। इस रोक के चलते बैंक अब न तो अपने ग्राहकों को लोन दे पाएगा और न ही डिपॉजिटर्स बैंक से अपना पैसा निकाल सकेंगे।

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