महाकुंभ में अंतिम अमृत स्नान किया जा रहा है, वहीं बृज में गुलाल उड़ाया जा रहा है। बृजभूमि में इस त्यौहार का अपना अलग ही महत्त्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बृज में आज ही के दिन से 45 दिन की होली के पर्व की शुरुआत हो जाती है और इस दिन यहां के सभी प्रमुख मंदिरों में जमकर गुलाल उड़ाया जाता है।
ब्रज में हुई होली की शुरुआत
वृन्दावन के विश्वप्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर में भी बसंत पंचमी की इस होली का नजारा बेहद मनभावन होता है। होली शुरू होने में भले ही अभी 40 दिन बाकी हो, लेकिन बृज में अभी से ही होली की शुरुआत हो चुकी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बृज में बसंत ऋतू के आगमन के साथ ही बसंत पंचमी के दिन से होली की शुरुआत हो जाती है। यहां के सभी प्रमुख मंदिरों में आज ही के दिन से गुलाल उड़ाने की शुरुआत हो जाती है, यह सिलसिला 45 दिन तक चलता है।
बृज की परंपरा के अनुसार आज के दिन मंदिर में श्रृंगार आरती के बाद सबसे पहले मंदिर के सेवायत पुजारी भगवान बांकेबिहारी को गुलाल का टीका लगाकर होली के इस पर्व की विधिवत शुरुआत करते है और उसके बाद इस पल के साक्षी बने मंदिर प्रांगण में मौजूद श्रद्धालुओं पर सेवायत पुजारियों द्वारा जमकर बसंती गुलाल उड़ाया जाता है।
बसंत-पंचमी के दिन से ही मंदिरों में होली खेलने की शुरुआत होने के साथ ही बृज में होली का डांडा गाड़ने की भी परंपरा रही है। इसीलिए आज ही के दिन यहां जगह-जगह पूजा-अर्चना करने के साथ होलिका बनाने की भी शुरूआत हो जाती है।