संवाददाता के के गुप्ता श्रावस्ती
कटरा श्रावस्ती बुद्ध की तपोस्थली श्रावस्ती में विश्व धरोहर दिवस एवं विश्व स्मारक दिवस सप्ताह के द्वितीय दिवस में बौद्ध भिक्षुओं ने सभा मंडप की साफ सफाई कर स्तूप को संरक्षित किया ।इस दौरान बौद्ध भिक्षु भवरानंद ने कहा कि विश्व स्मारक दिवस के तौर पर मनाया जाता था। लेकिन यूनेस्को ने इस दिन को विश्व विरासत दिवस या धरोहर दिवस के रूप में बदल दिया। बता दें, पहली बार साल 1968 में एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने दुनिया भर की प्रसिद्ध इमारतों और प्राकृतिक स्थलों की सुरक्षा का प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। इस प्रस्ताव को स्टॉकहोम में आयोजित हुए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पारित कर दिया गया। जिसके बाद यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर की स्थापना हुई और 18 अप्रैल 1978 में विश्व स्मारक दिवस के तौर पर इस दिन को मनाने की शुरुआत हो गई। हर देश को अपने अतीत और उस अतीत से जुड़ी सभी गौरव गाथाएं प्रिय होती हैं। तात्कालिक समय के स्मारक और धरोहरें,इन गौरव गाथाओं की कहानी बयां करती हैं। ऐसे में युद्ध,हार-जीत, कला,संस्कृति आदि इतिहास के पन्नों पर दर्ज होने के साथ उनके सबूत के तौर पर इन स्थलों को सदैव जीवित रहना जरूरी है। यह संगठन हर वर्ष यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करता है कि दुनिया के कुछ सबसे खूबसूरत स्थल और उन सांस्कृतिक स्मारकों का महत्व आने वाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित रहे।इस दौरान बौद्ध भिक्षु तथा बौद्ध अनुयाई मौजूद रहे।
श्रावस्ती में विश्व धरोहर दिवस एवं विश्व स्मारक दिवस सप्ताह के द्वितीय दिवस में बौद्ध भिक्षुओं ने सभा मंडप की साफ सफाई कर स्तूप को संरक्षित किया
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