CM Mamata Banerjee met : बंगाल के स्कूलों में 25,000 से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति रद्द करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। ऐसे में सीएम ममता बनर्जी ने शिक्षकों के एक वर्ग से मुलाकात की। सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि मैं कोई राजनीतिक रंग नहीं देखना चाहती हूं। हम नौकरी गंवाने वालों के हितों की रक्षा करने के अपने कर्तव्य से इनकार नहीं कर सकते।
सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि कृपया यह न समझें कि हमने इसे स्वीकार कर लिया है. हम पत्थर दिल नहीं हैं और मुझे ऐसा कहने के लिए जेल भी जाना पड़ सकता है, लेकिन मुझे इसकी परवाह नहीं है। हमारे पास यह सुनिश्चित करने के लिए अलग-अलग योजनाएं हैं कि पात्र उम्मीदवार बेरोजगार न हों या उनकी सेवा में कोई रुकावट न आए। मेरा नाम ऐसी चीज़ में घसीटा जा रहा है, जिसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।
‘जिन्होंने आपकी नौकरियां छीन लीं’
सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि मैं कोई राजनीतिक रंग नहीं देखना चाहती हूं। हम नौकरी गंवाने वालों के हितों की रक्षा करने के अपने कर्तव्य से इनकार नहीं कर सकते। स्कूली नौकरियों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बंधी हुई हैं, लेकिन स्थिति को अत्यंत सावधानी और निष्पक्षता से संभालने के लिए सक्रिय कदम उठा रही हैं। मैं उन लोगों के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हूं, जिन्होंने आपकी नौकरियां छीन लीं। आरजी पटना पहुंच गए हैं और संविधान सुरक्षा सम्मेलन के लिए रवाना हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि जो लोग एक भी नौकरी नहीं दे सके, वे लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। ममता ने सीपीआईएम के वरिष्ठ नेता विकास रंजन भट्टाचार्य पर हमला किया, जिन्होंने अवैध नियुक्तियों को लेकर सरकार को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
‘आजीविका छीनने का प्रयास न करें’
सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने वैध और अवैध नियुक्तियों की सूची नहीं दी। कानूनी उम्मीदवारों के पक्ष में कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए हम अभिषेक मनु सिंघवी, प्रशांत भूषण, कपिल सिब्बल, कल्याण बनर्जी से संपर्क करेंगे। बंगाल सरकार फैसले में संशोधन के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील करूंगी। मेरा अनुरोध है कि जो लोग नौकरी नहीं दे सकते, वे लोगों की आजीविका छीनने का प्रयास न करें।
आपको बता दें कि ममता बनर्जी ने शिक्षकों से मुलाकात की है। सीएम उन शिक्षकों से मिलीं, जिनकी नौकरी चली गई है। अब बताते हैं पूरा मामला क्या है? कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल के स्कूलों में 25,000 से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति रद्द करने का आदेश दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने इसी आदेश को बरकरार रखा है। टीचर्स नौकरी वापस करने की मांग उठा रहे हैं।