के के गुप्ता जिला संबाददाता की रिपोर्ट
कटरा श्रावस्ती दिगंबर जैन मंदिर श्रावस्ती में 1008 सम्भवनाथ भगवान का मोक्ष कल्याण निर्वाण लाडू महोत्सव का आयोजन अध्यक्ष संजीव जैन के अध्यक्षता में आयोजित किया गया। जिसमें पंचामृत अभिषेक शांति धारा व पूजन विधि विधान मोछ कल्याण निर्माण लाडू चढ़ाया गया। इस अवसर पर अध्यक्ष संजीव जैन ने कहा कि भगवान की वाणी का प्रभाव ऐसा होता है कि वह सभी आवरणों को भेदकर सामने वाले को सर्वज्ञता की प्राप्ति करा देती है। उनकी वाणी अज्ञान के सभी आवरणों से सर्वथा मुक्त होती है। भगवान के तीर्थंकर-नाम-गोत्र कर्म का बंधन इसलिए किया गया है कि लोग मोक्ष प्राप्त करें। क्योंकि तीर्थंकर स्वयं के साथ-साथ अनेकों को भी मोक्ष प्राप्त कराते हैं। इसलिए देवगण भी इस उद्देश्य से समोवसरन की रचना करते हैं कि कैसे अधिक से अधिक लोग तीर्थंकर भगवान की वाणी का लाभ उठा सकें। देवगण प्रत्येक घर में संदेश भेजकर तीर्थंकर भगवान की देशना और समोवसरन में आने का निमंत्रण देते हैं।

भगवान संभवनाथ ने अपनी देशना में ‘ अनित्य भावना’ के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला है । महामंत्री महेंद्र जैन ने कहा कि संभवनाथ भगवान के परिवार में 2,00,000 साधु , 3,36,000 साध्वियाँ , 15,000 केवल ज्ञानी , 2,93,000 श्रावक और 6,36,000 श्राविकाएँ थीं । अंत में संभवनाथ भगवान का निर्वाण 1,000 साधुओं के साथ समेत शिखरजी पर्वत पर हुआ । समेत शिखरजी एक अत्यंत पवित्र तीर्थ स्थल है जहाँ से इस काल चक्र के 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष प्राप्त किया था। वही रूपेश जैन पूर्व मंत्री ने कहा भगवान के निर्वाण के समय शैलेशिकरण क्रिया हुई जिसमें आत्मा पूरे शरीर से सिकुड़ गई और सिर के शीर्ष पर स्थित ब्रह्मरंध्र से सिद्ध क्षेत्र की ओर बढ़ गई। सभी दिव्य देवताओं ने निर्वाण का अंतिम संस्कार किया और उनके अवशेष और सामान एकत्र किए । यह दिव्य देवताओं द्वारा किया जाता है क्योंकि तीर्थंकर की प्रत्येक वस्तु शुभ और पूजनीय मानी जाती है।संभवनाथ भगवान की जीवन गाथा पढ़कर, उनकी तरह संकल्प और पूजा करके हम भी मोक्ष के पथ पर पथिक बन सकते हैं । उक्त अवसर पर स्वरूप चंद जैन, संजीव जैन, सुनील जैन, रूपेश जैन ,प्रियांशु जैन, सुरेंद्र जैन, प्रकाश जैन ममता जैन ,नीलम जैन आदि जैन परिवार के लोग मौजूद रहे।