UAE : 15 फरवरी को अबू धाबी में शहजादी को सजा-ए-मौत दिए जाने के ठीक तेरह दिन बाद 28 फरवरी को दो और भारतीयों को भी मौत की सजा दी गई थी। ये दोनों भारतीय केरल के रहने वाले थे। इनमें से एक का नाम मोहम्मद रिनाश और दूसरे शख्स का नाम मुरलीधरन था। रिनाश पर एक यूएई नागरिक के कत्ल और मुरलीधरन पर एक भारतीय नागरिक के कत्ल का आरोप था।
अबू धाबी के जेल में भारत की शहजादी को फांसी दी गई लेकिन शहजादी को दफनाया गया बीस दिन बाद। शहजादी के परिवार वाले शहजादी के जनाजे में शामिल नहीं हो सके। पांच मार्च को अबू धाबी के उस कब्रिस्तान में शहजादी के साथ एक और भारतीय नागरिक मोहम्मद रिनाश को भी दफनाया गया। शहजादी को सजा-ए-मौत देने के 13 दिन बाद दो और भारतीयों को गोली मारकर मौत की सजा दी गई थी।
अतिम संस्कार नहीं किया जा सका
हिंदुस्तान की शहजादी का कब्र नंबर A7S1 954 है। जिसे पांच मार्च को अबू धाबी में दोपहर के ठीक 12.30 बजे अबू धाबी के कब्रिस्तान में दफना दिया गया था। शहजादी की कब्र के ठीक बराबर में एक दूसरी कब्र है जिसका नंबर है A7S1 953 शहजादी के साथ-साथ करीब ठीक उसी समय हिंदुस्तान के मोहम्मद रिनाश को भी उस दूसरी कब्र में दफना दिया गया था। शहजादी और मोहम्मद रिनाश के अलावा एक तीसरे भारतीय मुरलीधरन को भी रिनाश के साथ 28 फरवरी को मौत की सजा दी गई थी। लेकिन मुरलीधरन के परिवार से कोई भी अबू धाबी नहीं पहुंचा। इसीलिए अभी तक मुरलीधरन का अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका है।
अपने दो रिश्तेदारों के नाम बताते हैं
शहजादी के घर से भी जनाजे में हिस्सा लेने के लिए कोई भी अबू धाबी नहीं पहुंचा था। अबू धाबी के अधिकारियों ने पहले ही कह दिया था कि शहजादी की लाश पांच मार्च तक मुर्दाघर में रहेगी। इसके बाद अगर परिवार का कोई शख्स नहीं आता है तो भी उसे दफ्ना दिया जाएगा। शहजादी के वालिद शब्बीर खान और उनकी बीवी इतने कम समय में अबू धाबी के सफर का इंतजाम नहीं कर पाए थे। पांच मार्च की मियाद पूरी होते ही छह मार्च की सुबह अबू धाबी से शब्बीर खान के पास एक फोन आता है। ये फोन यूएई में मौजूद भारतीय दूतावास से था। इस फोन पर शब्बीर खान को बताया जाता है कि शहजादी को अबू धाबी के समय के अनुसार दोपहर ठीक 12.30 बजे दफना दिया जाएगा। आखिरी रस्म में हिस्सा लेने के लिए नाम पूछने पर शहजादी के वालिद अबू धाबी में मौजदू अपने दो रिश्तेदारों के नाम बताते हैं।
शरीया कानून का पालन
बता दें कि यूएई एक इस्लामिक देश है जहां शरीया कानून का पालन किया जाता है। शरीया कानून के तहत कई अपराधों की सजा मौत होती है। वहां की सरकार चाहती है कि देश में अपराध बिल्कुल न हों इसलिए उन्होंने अपने कानून इतने सख्त बना रखे हैं कि अपराध करने से पहले ही लोग डर जाएं। यहां तक कि चोरी जैसे छोटे अपराधों के लिए भी मौत की सजा दी जाती है।
दोषियों को जल्द सजा
यूएई में कोई अपराध गंभीर होता है तो अदालतें तुरंत फैसला सुनाती हैं। वहां लंबी कानूनी प्रक्रिया नहीं होती जिससे अपराधी को जल्दी ही सजा मिल जाती है। जैसे हत्या बलात्कार और ड्रग तस्करी के मामलों में कोर्ट सीधे फांसी की सजा सुनाती है। वहीं कई मामलों में सरकार अपील का मौका भी नहीं देती जिससे दोषियों को जल्दी सजा हो जाती है।