Jammu-Kashmir : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में हुई बैठक के बाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में नए आपराधिक कानूनों को लागू करने में राज्य का योगदान सकारात्मक रहा है। उन्होंने बताया कि इस बैठक में इन नए कानूनों की समीक्षा की गई और यह चर्चा की गई कि इनका किस प्रकार से कार्यान्वयन हो रहा है और किन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है। गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर के योगदान को सराहा, हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कुछ स्थानों पर कमी पाई गई है, जिसे जल्द ही सुधारने की योजना है।
उमर अब्दुल्ला ने यह भी स्पष्ट किया कि चूंकि जम्मू-कश्मीर अब एक केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए यहां कानूनों का कार्यान्वयन राज्य सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। हालांकि, नए कानूनों के बारे में लोगों को जागरूक करना सरकार की जिम्मेदारी है, और इसके लिए सरकार पूरी तरह से प्रयासरत रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि आगामी चुनावी सरकारों को लोगों को नए कानूनों के बारे में पूरी जानकारी देने के लिए और अधिक कार्य करने की आवश्यकता होगी। मुख्यमंत्री ने इस दिशा में अपनी जिम्मेदारियों को निभाने का संकल्प लिया।
सुरक्षा समीक्षा बैठक पर उमर अब्दुल्ला का दृष्टिकोण
बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा मामलों पर भी चर्चा हुई थी। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यदि उन्हें सुरक्षा से संबंधित बैठक में शामिल न करने का फैसला लिया गया, तो इसमें कोई गलत बात नहीं है। उन्होंने इसे गृह मंत्रालय का निर्णय बताते हुए कहा कि यदि सरकार ने ऐसा फैसला लिया है, तो उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है। सीएम ने यह भी याद दिलाया कि इससे पहले भी संसद में सुरक्षा पर गृहमंत्री के साथ उनकी बातचीत हो चुकी है।
CEC की नियुक्ति पर उमर अब्दुल्ला की प्रतिक्रिया
इसके अलावा, उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) की नियुक्ति पर अपनी असहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता को असहमति जताने का पूरा अधिकार है और यह कोई असामान्य बात नहीं है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई जारी है और फैसला आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी। उमर ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला राज्य सरकार से संबंधित नहीं है, बल्कि केंद्र सरकार से जुड़ा हुआ है।