Tuesday, April 29, 2025
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महाकुंभ में सबसे पहले शाही स्नान करेगा ये अखाड़ा, जानें इसका इतिहास

प्रयागराज। मानवता के अमूर्त विरासत के रूप में प्रसिद्ध सनातन संस्कृति के मानव समागम महाकुंभ में सबसे पहले शैव संप्रदाय के महानिर्वाणी अखाड़े के साधु संत राजसी स्नान (शाही) करेंगे। महाकुंभ में सबसे पहले राजसी स्नान को लेकर पहले स्थिति साफ नहीं थी।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी का कहना था कि सबसे पहले जूना अखाड़ा के संत महात्मा और नागा शाही स्नान के लिए कूच करेंगे जबकि महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत यमुना पुरी का दावा है कि प्राचीन काल से प्रयागराज के अर्ध कुंभ, कुंभ और महाकुंभ में महानिर्वाणी अखाड़ा स्नान करता आ रहा है तो वही पहले स्नान करेगा उसके बाद क्रमवार अखाड़े स्नान करेंगे। शाही स्नान को लेकर यह विवाद लंबे समय तक अखाड़ों में चला था, जिसका निपटारा बाद में अंग्रेजों के समय कर दिया गया था। तब से सभी अखाड़े अपने क्रम के अनुसार ही राजसी स्नान करते आ रहे हैं।

स्थापित परंपरा के मुताबिक, अंग्रेजी राज के दौरान ही सभी अखाड़ों ने आपसी सहमति से स्नान को लेकर एक संहिता बनाई थी। इसके तहत प्रयागराज में होने वाले सभी अर्धकुंभ और पूर्ण कुंभ में सबसे पहले पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के साधु सबसे पहले स्नान करते हैं और हरिद्वार में लगने वाले कुंभ में निरंजनी अखाड़ा सबसे पहले राजसी स्नान करता है।

इस परंपरा के तहत प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू होने जा रहे महाकुंभ में सबसे पहले पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा सबसे पहले शाही स्नान करेगा। कुंभ स्नान के दौरान जिस अखाड़े का स्नान का नंबर होता है सबसे पहले उस अखाड़े के सर्वोच्च पद पर आसीन आचार्य महामंडलेश्वर अथवा महंत स्नान के लिए पानी में उतरते हैं। इसके बाद वे अपने अखाड़े के इष्ट देव को पवित्र नदी में स्नान करवाते हैं और फिर स्वयं डुबकी लगाते हैं। उनके स्नान के बाद उस अखाड़े के बाकी साधु-संत भी नदी में उतरकर स्नान करते हैं।

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